अफगानिस्तान में क्यों आते है इतने भूकंप, जानें क्या कहता है सांइस?

Savan Kumar
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अफगानिस्तान में जबरदस्त भूकंप दर्ज किया गया है. इसके चलते 1000 से ज्यादा लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता को 6.1 मापा गया है. इस भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के दक्षिणपूर्वी हिस्से में मौजूद खोस्त शहर से 44 किमी दूर है. यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक ये भूकंप जमीन से 51 किमी की गहराई पर दर्ज किया गया है. सवाल उठता है कि दुनिया में तबाही मचाने वाले भूकंप आखिर आते क्यों हैं? दरअसल ऊपर से शांत दिखाई देने वाली हमारी धरती के अंदर हमेशा से उथल-पुथल मची रहती है. धरती के अंदर मौजूद रहने वाली प्लेटें आपस में टकराती रहती हैं जिसके चलते हर साल हजारों भूकंप आते हैं।


ऐसा माना जाता है कि दुनियाभर में हर साल 20 हजार से ज्यादा बार भूकंप के झटके दर्ज किए जाते हैं. लेकिन ऐसा भी कहा जाता है कि ये भूकंप के झटके हजारों नहीं बल्कि लाखों की संख्या में होते हैं क्योंकि इनमें से ज्यादातर इतने हल्के होते हैं कि सिस्मोग्राफ पर दर्ज भी नहीं होते हैं।


कैसे आता है भूकंप

भूकंप के आने को समझने से पहले हमें जानना होगा कि धरती के नीचे मौजूद प्लेटों की संरचना को समझना होगा. भू-विज्ञान के मुताबिक पूरी धरती 12 टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है. इन प्लेटों के टकराने पर जो ऊर्जा निकलती है, उसे भूकंप कहा जाता है. दरअसल धरती के नीचे मौजूद ये प्लेटें बेहद धीमी रफ्तार से घूमती रहती हैं. हर साल 4-5 मिमी अपनी जगह से खिसक जाती हैं. इस दौरान कोई प्लेट किसी के नीचे से खिसक जाती है, तो कोई दूर हो जाती है. इस दौरान जब प्लेटें आपस में टकराती हैं तो भूकंप आता है.


क्या होता है भूकंप का केंद्र?

पृथ्वी की सतह के नीचे जहां पर चट्टानें टूटती हैं या टकराती हैं, उसे भूकंप का केंद्र या हाइपोसेंटर या फोकस कहा जाता है. इस स्थान से भूकंप की ऊर्जा तरंगों के रूप में बतौर कंपन फैसली है. ये कंपन बिल्कुल उसी तरह की होती है, जैसे शांत तालाब में कंकड़ फेंकने से जो तरंगें पैदा होती हैं. विज्ञान की भाषा में समझें तो पृथ्वी के केंद्र को भूकंप के केंद्र से जोड़ने वाली रेखा जिस स्थान पर पृथ्वी की सतह को काटती है, उसे भूकंप का अभिकेंद्र यानि एपिक सेंटर कहा जाता है. स्थापित नियमों के मुताबिक पृथ्वी की सतर पर यह स्थान भूकंप के केंद्र से सबसे नजदीक होता है.


क्यों टूट जाती हैं चट्टानें?

धरती के नीचे मौजूद चट्टानें दबाव की स्थिति में होती हैं और जब दबाव एक लिमिट से ज्यादा हो जाता है तो चट्टानें अचानक से टूट जाती हैं. इसके चलते सालों से मौजूद ऊर्जा अवमुक्त हो जाती है. चट्टानें किसी कमजोर सतह के सामान्तर टूट जाती हैं और इन चट्टानों को फॉल्ट भी कहा जाता है. हमारी धरती कुल सात भूखंडों से मिलकर बनी है. इन भूखंडों के नाम अफ्रीकी भूखंड, अन्टार्कटिक भूखंड, यूरेशियाई भूखंड, भारतीय-आस्ट्रेलियाई भूखंड, उत्तर अमेरिकी भूखंड, प्रशान्त महासागरीय भूखंड, दक्षिण अमेरिकी भूखंड है.


ये चट्टानें आम तौर पर स्थिर और ना टूटने वाली लगती है लेकिन ऐसा है नहीं. पृथ्वी की सतह ना तो स्थिर है और न ही अखंड. धरती ती सतह महाद्वीप के साइज के विशाल प्लेटों से मिलकर बना है. इन चट्टानों को धरती की सतह पर ठोस परत के रूप में समझा जा सकता है और इनका विस्तार महाद्वीपों के साथ साथ समुद्र तक होता है. महाद्वीप के नीचे मौजूद चट्टानें हल्की होती हैं और समुद्री भूखंड भारी चट्टानों से मिलकर बना होता है.


कैसे फैलता है झटके का असर!

जो स्थान भूकंप के केंद्र के सबसे नजदीक होता है, वहां झटकों की तीव्रता या उससे होने वाला नुकसान ज्यादा होता है. एपिकसेंटर से जो-जो स्थान दूर होते हैं, उसके हिसाब से प्रभाव कम होता चला जाता है. जब आम तौर पर पूछा जाता है कि भूकंप कहां आया तो उसके जवाब में एपिकसेंटर के बारे में बताया जाता है या उससे जुड़ी जानकारियां दी जाती हैं.


क्यों अफगानिस्तान में ही आते हैं भूकंप?

आमतौर पर ये माना जाता है कि अफगानिस्तान सिस्मिकली एक अशांत क्षेत्र हैं. यहां अक्सर छोटे, बड़े और विध्वंसक भूकंप आते रहे हैं. NH Heck, Gutenberg और Richter ने अपनी किताब जनरल मैप्स ऑफ अर्थक्वैक ऑफ द वर्ल्ड में लिखा है कि अफगानिस्तान का उत्तर-पूर्व हिस्सा ऐसे क्षेत्र से संबंधित है, जो भूकंप के नजरिए से बेहद खतरनाक है. हिमालय और दूसरे क्षेत्र भी इस क्षेत्र में आता है. इसे आमतौर पर ग्रेट बेल्ट के तौर पर भी जाता जाना है, जो प्रशांत महासागर को घेर हुए है.

Tags: Travel, History

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