आइये जानते है विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रतिनिधि नरेंद्र मोदी की कहानी

Bhawana Singh
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किसी देश का प्रतिनिधित्व करना आसान नहीं होता , किसी देश का प्रधानमंत्री बनकर अपने कर्तव्यों का पालन करना भी कठिन है और यदि वो मुल्क भारत हो तो आपकी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है।

 नरेंद्र मोदी 2014 से भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे है, विश्व में कई लोग भारत को मोदी की वज़ह से भी जानते है। नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे ज़्यादा स्नेह पाने वाले लीडर्स में से एक है तो आइए जानते विश्व में भारत की पहचान बनने वाले हमारे प्रधानमंत्री के जीवन की कहानी।

 नरेंद्र मोदी बेहद साधारण परिवार से है, एक ऐसे परिवार से जिसमें दूर दूर तक किसी का राजनीति से कोई सम्बंध नहीं। इनका बचपन गरीबी और अभाव में बिता लेकिन मोदी में जुनून था, मेहनत थी, पढ़ने की लगन थी और देश के लिए अपार प्रेम, नरेंद्र मोदी को बचपन से ही देश के लिए कुछ बड़ा करना था, इनके बड़े बड़े सपने थे और ये देश से बेहद प्यार करते थे। इंसान ऐसे की जीवन ने इनके आके जो भी चुनौती रखी, ये सब पार करते रहे और आज पूरा विश्व इन्हें जानता है।



बेहद कठिन रहा है मोदी का बचपन

मोदी का पूरा नाम है नरेंद्र दामोदर दास मोदी। इनका परिवार बहुत ही गरीब था ये जब ये छोटे थे तो अपने परिवार के साथ एक छोटे से कच्चे मकान में रहा करते थे। मोदी के पिता रेलवे स्टेशन पर एक छोटी सी चाय की दुकान चलाते थे, जिसमें ये भी अपने पिता के कामों में हाथ बंटाते थे और रेल के डिब्बों में जाकर चाय बेचते थे। मोदी बेहद मेहनत करते थे, उन्हें पढ़ना पसंद था पर आर्थिक हालात सही नहीं थे इसलिए वो पढ़ाई के साथ साथ काम भी किया करते थे। मोदी बेहद असाधरण थे और उनकी सोच भी लोगों से अलग थी।

मात्र 17 साल की उम्र में हुई शादी

मोदी की शादी मात्र 17 साल में करा दी गई पर शादी के कुछ समय बाद ही इन्होंने घर त्याग दिया और अपनी पत्नी से भी अलग हो गए। मोदी का मानना है कि शादी करना जरूरी नहीं है , एक शादीशुदा व्यक्ति के मुकाबले एक अविवाहित आदमी देश में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ ज्यादा बेफिक्र होकर लड़ सकता है, परिवार वाले व्यक्ति को अनेक प्रकार की चिंताएं होती है I लेकिन अविवाहित व्यक्ति चिंता रहित होता है। 

उसे अपनी पत्नी, परिवार और बच्चों की कोई भी चिंता नहीं रहती है और फिर वो बेफिक्री से अपनी लड़ाई लड़ सकता है। मोदी की प्राथमिकता उनका परिवार नहीं बल्कि उनका देश रहा है और उन्होंने अपना जीवन देश के लिए समर्पित किया है।

ऐसे हुआ राजनीति में मोदी का आगमन

मोदी के अंदर बचपन से ही देश के प्रति सेवाभाव कूट कूट कर भरा हुआ था। 1962 में जब भारत और चीन का युद्ध हुआ तो नरेंद्र मोदी रेलवे स्टेशन पर जवानों के लिए चाय और खाना लेकर जाते थे। 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में भी मोदी ने जवानों की खूब सेवा की लेकिन राजनीति में इनका आगमन हुआ जब, 1971 में मोदी आरएसएस के प्रचारक बन गए और अपना पुरा समय आरएसएस को देने लगे। 

उनकी दिनचर्या अलग थी वे सुबह 5 बजे से रात के 11 बजे तक काम करते थे और मात्र 4 से 5 घन्टे ही सोते थे। प्रचारक होने की वजह से मोदी जी ने गुजरात के अलग-अलग जगहों पर जाकर लोगों की समस्याओं को बहुत करीब से समझा और साथ ही भारतीय जनता पार्टी का आधार मजबूत करने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मोदी लोगों से जुड़ते गए और समय के साथ काफ़ी पॉपुलर हो गए। मोदी की पॉपुलैरिटी को देखते हुए, पार्टी ने उन्हें गुजरात में बीजेपी का नेतृत्व करने को दिया।

सेवाभाव और मेहनत का मिला परिणाम

मोदी वोट्स के लिए काम नही करते थे उन्हें सेवा करना पसंद था और वे बस सेवाभाव से गुजरात के लोगों की परेशानियां दूर करते। एकनिष्ट भाव से सेवा का ही परिणाम था की एक के बाद चुनाव में बीजेपी जीतीऔर गुजरात प्रगति की राह पर आगे बढ़ता गया। 

मोदी लगातार दो बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने लेकिन मोदी देश और अपने काम के लिए इतने समर्पित थे की गुजरात नहीं वे पूरे देश के लोगों की नजर में आने लगे थे। 2014 में बिजेपी ने मोदी को अपना पीएम उम्मीदवार बनाया और देश की जनता ने उनपे विस्श्वाश दिखा कर एक नहीं दो बार उन्हें देश का प्रधानमंत्री बना दिया।

क्या है मोदी की सफलता का राज ?

नरेन्द्र मोदी की सफलता का सबसे बड़ा राज है उनकी मेहनत और लगन। चुनाव के समय वह केवल 3-4 घंटे ही सोते थे और प्रधानमंत्री बनने के बाद भी वह 18 घंटे कार्य करते है| सुबह 4 बजे जगकर मोदी लगातार काम करते है। 

मोदी की दिनचर्या बेहद अलग है, मोदी योग और मैडिटेशन भी करते है ताकि वो फिट रह सके और लगातार काम कर सके। चाय वाले से लेकर विश्व के सबसे बडे लोकतंत्र के प्रधानमंत्री बनने तक का सफर, भारत देश को एक नई प्रगति की दिशा देने का सफर, लोगों के दिलों में उम्मीदों की किरण जगाने का सफर मोदी के लिए आसान नहीं था, लेकिन इनकी मेहनत, लगन और भारत माँ के लिए अटूट प्रेम ने असंभव को संभव कर दिखाया। 

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