एक तरफ उनका इशारा मोदी सरकार की ओर था, लेकिन इसके बहाने उन्होंने मुख्यमंत्री गहलोत को इशारों में यह भी जता दिया कि उन्होंने रैली के माध्यम से जनता का समर्थन जुटाना शुरू कर दिया है। सचिन पायलट ने 5 फरवरी को दौसा में रैली की थी। इसके बाद, 9 फरवरी को, उन्होंने भरतपुर में किसान महापंचायत में भाग लिया। 17 फरवरी को वह चाकसू, जयपुर में एक रैली को संबोधित करेंगे।
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इन सभी रैलियों में वह किसानों से जुड़े मुद्दों को उठा रहे हैं। सचिन पायलट समझते हैं कि अगर लोगों से समर्थन लेना है, तो किसानों को साथ लेना होगा। यहां दिलचस्प बात यह है कि सचिन पायलट ने अब तक जिन दो रैलियों का आयोजन किया है, उन इलाकों में जयपुर की प्रस्तावित रैली जहां उनके वफादार विधायक हैं। दौसा विधायक मुरारी लाल, बयाना विधायक अमर सिंह, चाकसू विधायक वेद प्रकाश सोलंकी पायलट गुट के रूप में माने जाते हैं। इन इलाकों में उनकी रैलियां हुई हैं। ये सभी विधायक जुलाई 2020 में विद्रोह के समय पायलट के साथ थे।
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एक रिपोर्ट के मुताबिक, पायलट ने कहा कि 'राहुल गांधी पहले दिन से संसद के बाहर किसानों के मुद्दे उठा रहे हैं। AICC, PCC, हम सभी पिछले दो महीनों से इस मांग को उठा रहे हैं, अब राहुल राजस्थान आ रहे हैं। सचिन पायलट का कहना है कि राहुल गांधी के आने से किसानों की मांग बढ़ाने में मदद मिलेगी। सचिन पायलट ने कहा कि किसानों से जुड़े मुद्दों को उठाने के लिए वह जो भी कर सकते हैं, कर रहे हैं।
अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच की तल्खी किसी से छिपी नहीं है
मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच की तल्खी किसी से छिपी नहीं है। 2018 के चुनावों में कांग्रेस की जीत के साथ, अशोक गहलोत और सचिन पायलट सीएम पद के लिए आमने-सामने आ गए। कांग्रेस आलाकमान ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री की कुर्सी दी और सचिन पायलट को डिप्टी सीएम के पद से संतोष करना पड़ा।
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राजस्थान विधानसभा की ये है स्थिति
सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच आंतरिक प्रतिद्वंद्विता चल रही है, राजस्थान विधानसभा में 200 विधायकों में से कांग्रेस के 107 विधायक हैं। इनमें बसपा के छह विधायक शामिल हैं जो अपनी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। इसके अलावा गहलोत सरकार को राज्य के 12-13 निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी हासिल है। यानी अगर हम संख्या की बात करें, तो गहलोत सरकार मजबूत स्थिति में है। 2018 के चुनाव में भाजपा ने 73 सीटें जीतीं। अब तक, कांग्रेस गठबंधन के पास भाजपा की तुलना में 48 अधिक विधायक हैं।
सचिन पायलट अब बगावत करने की तो सोचेंगे भी नहीं
सचिन पायलट के पास करीब 25 विधायकों का ही समर्थन है, ऐसे में खुद के दम पर सरकार बनाना सचिन पायउट के लिए संभव नहीं है। तो फिर सचिन पायलट इन दिनों अलग-अलग से क्यों है ? या उनके दिमाग में चल क्या रहा है, ये तो समय आने पर ही पता चलेगा, लेकिन एक स्थिति ये बन सकती है कि आने वाले राजस्थान के विधानसभा चुनावों में वो मजबूती से अपना समर्थन हाई कमान के सामने रख सकें।