इन दिनों बात महिलाओं को न्याय दिलाने की हर जगह हो रही है। और ये मुद्दा या तो 2012 में निर्भया केस के दौरान पूरे देश में छाया था या फिर इन दिनों....
पिछले दिनों हैदराबाद में रेप के आरोपियों का एनकाउंटर किये जाने के बाद, न्याय शब्द हर तरफ छाया है, और देश में आवाज उठने लगी है कि रेप के आरोपियों के साथ यही... यानी कि इंस्टेंट न्याय ही होना चाहिए। लेकिन लोगों का यह भी मानना है कि इंस्टेंट न्याय तो होना चाहिए ही लेकिन वो कानूनी प्रकिया से हो तो ओर भी बेहतर होगा। इसी को लकेर आंध्र प्रदेश की वाइएस जगनमोहन रेड्डी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए विधानसभा में एक ऐसा डाफ्ट तैयार किया है जिससे सामूहिक दुष्कर्म और जघन्य दुष्कर्म के मामलों में आरोपियों को मात्र 21 दिन में फांसी दी जा सकेगी। हालाकि इस बिल को बनने में थोडा समय लगेगा लेकिन सीएम वाइएस जगनमोहन रेड्डी ने रेप के बढते मामलों को देखते हुए अपने इऱादे साफ कर दिये है।
2012 का निर्भया केस हो या फिर हाल ही में हैदराबाद केस...ऐसा नही है कि देश में इस दौरान कोई रेप का केस नहीं हुआ आकड़ो की माने तो अब देश को इस मुद्दे पर गंभीर हो जाना चाहिए।
हैदराबाद में रेप और हत्या का मामला हो, उन्नाव में रेप पीड़िता को आग लगाना या फिर कठुआ केस, इन सभी जघन्य अपराधों से साफ हो चला है कि महिलाएं अब देश में सुरक्षित नहीं है। 26 साल की डॉक्टर जब अपने घर लौट रही थी तो गैंगरेप के बाद उसे जला दिया गया। उन्नाव की रेप पीड़िता जब कोर्ट जा रही थी तो रास्ते में ही पांच लोगों ने उसे जिंदा जला दिया। इसी तरह जम्मू-कश्मीर के कठुआ में भी 8 साल की बच्ची के साथ दरिंदगी की गई।
निर्भया केस के बाद 2013 में 33,707 मामले, 2014 में 36,735, 2015 में 34,651, 2016 में 38,947 ,2017 में 32,559 केस सामने आये है अब ये केस तो वो है जो रिकॉर्ड में है कही केस तो ऐसे होते है जो या राजनीतिक दबाव में या फिर पारिवारिक दबाव में दब कर रह जाते है।
...अब ये बात कितने नेताओं ओर कितनी राज्य सरकारों को समझ में आयी है ये तो नहीं पता लेकिन आंध्रप्रदेश के सीएम वाइएस जगनमोहन रेड्डी के समझ आ गयी है और उन्होनें अपनी विधानसभा में इससे जूडा एक बिल का प्रस्ताव रखा है इस बिल के अन्दर ऐसा प्रावधान है कि सामूहिक दुष्कर्म और जघन्य दुष्कर्म के मामले मे 21 दिन में ही अपराधियों को फांसी दी जा सकें...
..बस इसी बात के चलते आंध्र के सीएम वाइएस जगनमोहन रेड्डी इन दिनों खासा चर्चा का विषय बने हुए है। आंध्र प्रदेश केबिनेट ने एपी क्रिमिनल लॉ नाम से मसौदा बिल की मंजूरी दी है। इससे पहले जगनमोहन ने हैदराबाद रेप के आरोपियों के एनकाउंटर की तारीफ की थी। सीएम वाइएस जगनमोहन रेड्डी ने हैदराबाद एनकाउंटर पर तेलंगाना राज्य की पुलिस और वंहा के सीएम चंद्रशेखर राव की तारीफ भी करी थी।
वाईएस जगमोहन रेड्डी की तारीफ हो रही तो उनके बारे में आपको ये भी जानना जरूरी है कि उनकी ऐसी छवि आखिर बनी कैसे... वाईएस जगमोहन रेड्डी आंध्रप्रदेश के पुर्व सीएम वाई एस राजशेखर रेड्डी के बेटे है, राजशेखर रेड्डी का सितम्बर 2009 में एक हवाई दुर्घटना में निधन हो गया था। पिता की जगह खुद मुख्यमंत्री बनने का दावा करने से लेकर अब तक जगमोहन रेड्डी ने काफी लंबा राजनीतिक सफर तय किया है। जिसमें वो न केवल पूरी तरह से कांग्रेस के विरोधी बन गए बल्कि उन्होंने खुद अपनी अलग पहचान बनाई।
अपने पिता की मौत से पहले जगनमोहन अपने बेंगलुरू में बिजनेस को ही सभांलते थे। 2008 में उन्होनें एक साक्षी नाम के न्यूज चैनल और न्यूज पेपर की शुरूआत की थी। जगमोहन के पिता राजशेखर के नेतृव्य में कांग्रेस ने आंध्र की सत्ता में वापसी की लेकिन 2 सितंबर 2009 में दुर्घटना में उनकी मौत हो गई। जगनमोहन अपने पिता की जगह राज्य के सीएम बनना चाहते थे। लेकिन कांग्रेस ने उनकी एक नहीं सुनी और पहले रौसेया और फिर एन किरण रेड्डी को सीएम बना दिया। इससे जगमोहन रेड्डी ने बगावत कर ली, और नई पाटी बनाने की घोषणा कर दी।
जून 2009 में कडप्पा से सांसद चुने जाने के बाद जगनमोहन ने 2010 में इस्तीफा दे दिया और 2011 में वापस सांसद चुने गए। कांग्रेस से बगावत ने जगनमोहन रेड्डी को आंध्र प्रदेश जो कांग्रेस के लिए काफी सुरक्षित था उसी में उसे कमजोर कर दिया और मई 2019 के लोकसभा चुनावों के साथ हुए, आंध्रप्रदेश के विधानसभा चुनावों में अकेले दम पर सरकार बना ली।
21 दिन में फांसी देने का कानून बनाने की घोषणा करने वाला आंध्रप्रदेश देश का अकेला राज्य है। हालाकि कानून अभी बना नहीं है लेकिन राज्य सरकार ने अपने इरादे साफ कर दिये। आध्र की जगनमोहन सरकार को अभी लगभग 6 महिने भी पूरे नहीं हुए। लेकिन वे कई ऐसे कानून बनाकर सुर्खियों में आ चुके है। जिन्हें देश में उनकी छवि को बढ़ावा दिया है।
दो अक्टूबर महात्मा गांधी की जंयती पर जगनमोहन रेड्डी की सरकार ने शराबबंदी कानून का फैसला भी चर्चा में रहा है। इसके अलावा स्थानीय लोगों को नौकरियों में प्राथमिकता देने का बिल भी 22 जूलाई को विधानसभा में पास करवा चुके है। स्थानीय लोगों को नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण देने वाला देने वाला आंध्र देश का अकेला राज्य है।