उत्तराखंड (Uttarakhand) के जोशीमठ (Joshimath) में प्रकृति का कहर देखा गया है। चमोली (Chamoli) जिले के तपोवन (Tapovan) इलाके में रविवार को
ग्लेशियर (Glacier) के फटने से भारी तबाही हुई। जिसके कारण धौलीगंगा नदी (Dhauliganga River) में बाढ़ आ गई है। आस-पास के इलाकों में पानी तेजी से फैल गया है। ऋषिगंगा बिजली परियोजना (Rishi Ganga Power Project) के क्षतिग्रस्त होने की सूचना है। राज्य में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है और बचाव दल को मौके पर भेजा गया है।
Join our Whatsapp Group: The Found (Whatsapp)
आपको बता दें, इस तबाही ने 2013 की केदारनाथ त्रासदी की याद दिला दी। साथ ही लोगों के मन में सबसे पहला सवाल यही उठता है कि यह ग्लेशियर कैसे टूटा, मौसम विभाग को इसकी जानकारी क्यों नहीं थी, ग्लेशियर के टूटने का कारण क्या है।
बर्फ के एक स्थान पर जमा होने के कारण ग्लेशियर का निर्माण होता है। ये दो प्रकार के होते हैं। पहला अल्पाइन ग्लेशियर और दूसरा आइस शीट्स। ग्लेशियर पहाड़ों पर स्थित अल्पाइन श्रेणी में आते हैं।
आपको बता दें कि, ग्लेशियर के पहाड़ों पर टूटने का कोई एक कारण नहीं है। इसके कई कारण हो सकते हैं। ये ग्लेशियर गुरुत्वाकर्षण के कारण टूट सकते हैं और ग्लेशियर के किनारों पर तनाव बढ़ सकते हैं। आपको बता दें कि, ग्लेशियर के ग्लोबल वार्मिंग के कारण बर्फ पिघल सकती है, इसके साथ ही ग्लेशियर का एक हिस्सा टूट कर बिखर सकता है।
जब बर्फ का एक टुकड़ा ग्लेशियर से अलग हो जाता है, तो इसे कैलविंग कहा जाता है
जब बर्फ का एक टुकड़ा ग्लेशियर से अलग हो जाता है, तो इसे कैलविंग कहा जाता है। हालांकि, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि उत्तराखंड में ग्लेशियर के टूटने का कारण क्या है। सबसे पहले हम आपको बता दें कि ग्लेशियर से टूटने और फटने के कारण आई बाढ़ का परिणाम काफी भयानक होता है। यह माना जाता है कि यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब ग्लेशियर के भीतर एक जल निकासी ब्लॉक होता है और फिर पानी निकासी का एक रास्ता खोजता है।
Subscribe to Youtube Channel: The Found (Youtube)
जब ग्लेशियर के बीच से पानी बहता है तो बर्फ के पिघलने की गति तेज हो जाती
ऐसे में जब ग्लेशियर के बीच से पानी बहता है तो बर्फ के पिघलने की गति तेज हो जाती है। आमतौर पर ग्लेशियर की बर्फ धीरे-धीरे पिघलती है, लेकिन बीच से बहने वाले पानी के कारण बर्फ तेजी से पिघलने लगती है। ऐसी स्थिति में पानी निकलने का तरीका धीरे-धीरे बड़ा होता जाता है और पानी का बहाव तेज होने लगता है, इसके साथ ही बर्फ के टुकड़े भी पिघल कर बहने लगते हैं।
Join our Telegram Channel: The Found (Telegram)
आउटबर्स्ट बाढ़ क्यों कहा जाता है
Encyclop Dia dia Britannica के अनुसार, इसे आउटबर्स्ट बाढ़ कहा जाता है। ये बाढ़ आमतौर पर पहाड़ी इलाकों में होती है। आपको बता दें, कुछ ग्लेशियर हर साल टूटते हैं तो कुछ दो या तीन साल के अंतर में टूटते हैं। वहीं कुछ ऐसे ग्लेशियर भी होते हैं जिनका अंदाजा लगाना नामुमकीन होता है कि वह कब टूट सकते हैं।
ऋषिगंगा पॉवर प्रोजेक्ट पर पहले से ही उठते रहे है सवाल
तपोवन क्षेत्र में ग्लेशियर में हुई टूट की वजह से ऋषिगंगा पॉवर प्रोजेक्ट को नुकसान पहुंचा है। ये प्रोजेक्ट पूरी तरह से तबाह हो गया है, परियोजना पर 10 से अधिक वर्षों से काम चल रहा था। यह सरकारी नहीं बल्कि निजी क्षेत्र की परियोजना है जो विवादों में रही है। पहले इस परियोजना का कड़ा विरोध किया गया था। पर्यावरण की सुरक्षा के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं ने परियोजना को रोकने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
Follow Our Facebook & Twitter Page : (The Found) Facebook &Twitter