"नागरिकता संशोधन बिल 2019" भारत के समर्थन में या मुस्लिमों के विरोध में.

Savan Kumar
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इस समय नागरिकता संशोधन बिल पर देशभर में बहस हो रही है। इस बिल का देश के कई राज्यों में भारी विरोध हो रहा है। साथ ही देश की जानीमानी हस्तियां भी इस बिल को वापस लेने की मांग कर चुकी है।

हम आपको इस स्पेशल रिपोर्ट में आज नागरिकता संशोधन बिल क्या है और इस बिल का इतना विरोध हो क्यू रहा है। इस बारे में पूरी डिटेल से बताएगें। पहले आप देशभर से आयी इस बिल के विरोध की तस्वीरें देख लिजिए। कहीं पर मोदी सरकार का विरोध हो रहा है तो कहीं पर गृहमंत्री अमित शाह मुर्दाबाद के नारे लग रहे है। इस बिल का देश की कई यूनिवर्सिटीज के छात्र भी विरोध कर रहे है। देखिये ये तस्वीरें/वीडियो....



इस बिल का विरोध पाकिस्तान भी कर रहा है।
अमेरिका के आयोग ने इस बिल पर अमित शाह को चेतावनी दी कि यह बिल एक खतरनाक कदम है इसके चलते गृहमंत्री अमित शाह पर कई तरीके के प्रतिबंध लगाने की चेतावनी भी दी। ये वही आयोग है जिसने 2002 में गुजरात दंगों के चलते नरेंद्र मोदी को अमेरिका का वीजा नही मिला था। इस आयोग को भारत ने जबाव भी दिया है और कहा कि अमेरिकी आयोग को न तो इसमें दखल का अधिकार है और ना ही इस बिल की पूरी जानकारी है।

आपने इस बिल के विरोध की तस्वीरें तो देख ली लेकिन अब इस बिल के समर्थन की तस्वीरें भी देखने की जरूरत है ये तस्वीर इस रिपोर्ट को बैलेंस करने के लिए बिल्कुल भी नही है। लेकिन दोनो को दिखाना भी जरूरी है। ढोल-बाजे बजाकर लोगों ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया और नरेंद्र मोदी की जय के नारे लगाए।

आज जब देश में नागरिक संशोधन बिल ने हिंदू-मुस्लिम का रूप ले लिया है। तो गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में इस बात की गांरटी ले ली कि देश में धर्म के आधार पर भेदभाव कभी नहीं होगा।

अमित शाह का विडियो...



अब आपको बताते है कि इस बिल में आखिर है क्या..

अगर नागरिक संशोधन बिल कानून बन जाता है तो पड़ोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न के चलते भारत आये हिन्दू, सिख, ईसाई, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों को इस कानून के तहत भारतीय नागरिकता मिल जाएगी।


दरअसल पूर्वोत्तर राज्यों के स्वदेशी लोगों का एक बड़ा वर्ग इस बात से डरा हुआ है कि नागरिकता बिल के पारित हो जाने से जिन शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी उनसे उनकी पहचान, भाषा और संस्कृति ख़तरे में पड़ जाएगी, नागरिकता संशोधन बिल के चलते जो विरोध की आवाज उठ रही है उसकी वजह ये है कि इस बिल के प्रावधान के मुताबिक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले मुसलमानों को भारत की नागरिकता नहीं दी जाएगी। कांग्रेस समेत कई पार्टियां इसी आधार पर इस बिल का विरोध कर रही हैं।

लेकिन इस पर मोदी सरकार का तर्क है कि  पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश पहले से मुस्लिम बहुसंख्यक देश है जबकि ये बिल यंहा से आने वाले अल्पसंख्यकों के लिए बनाया गया।

देश के पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक का भारी विरोध किया जा रहा है, और उनकी चिंता है कि पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिन्दुओं को नागरिकता प्रदान की जा सकती है।

असम में एनआरसी लागू, एनआरसी में जो हिंदू बाहर रह गये है उनको इस बिल के तहत भारतीय नागरिकता मिल जाएगी। सरकार का दावा है कि बांग्लादेश और म्यांमार से बडी संख्या में रोहिग्यां भारत में घुस गये है ऐसे में उनकी पहचान करना जरूरी है। सरकार का कहना है कि एनआरसी के जरिए 19 जुलाई 1948 के बाद भारत में प्रवेश करने वाले अवैध निवासियों की पहचान कर उन्हें देश से बाहर करने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। असम में एनआरसी की जो प्रक्रिया अपनाई गई थी उसमें कट ऑफ तारीख़ 24 मार्च 1971 थी जबकि नए प्रस्तावित एनआरसी में यह तारीख़ 19 जुलाई 1948 है।

अब देश में इसका विरोध पाटियां भी कर रही है। अब तक हिंदूओं की बात करने वाली शिवसेना ने इस बिल पर लोकसभा में तो सरकार को समर्थन किया। लेकिन राज्यसभा में समर्थन से पहले बिल को रिव्यू करने की मांग कर दी।


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Tags: Travel, History

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