भारत दुनिया का सबसे बडा लोकतंत्र है। तो अमेरिका विश्व का सबसे पुराना लोकतंत्र है। करीब 200 वर्ष पहले अमेरिका में चुनावों की शुरुआत हुई। उस समय राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति के लिए अलग-अलग मत नहीं डाले जाते थे। जिसे सर्वाधिक वोट मिलते थे, वह राष्ट्रपति, और दूसरे नंबर पर रहने वाला व्यक्ति उपराष्ट्रपति होता था। यही व्यवस्था लोकतंत्र बनी, इसी के चलते अमेरिका दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र बना। ऐसी ही मिली-जुली व्यवस्था भारत ने भी अपनायी। दोनों देशों का ही इतिहास उतार-चढाव भरा रहा है। अलग-अलग विचारधाराऐं होने से दोनों देशों के बीच कभी-कभी तनाव पूर्ण रिश्ते भी रहे, लेकिन अब संबंधो में बदलाव आये है।
अमेरिका और भारत के संबंधो में पिछले कुछ वर्षो में अहम सुधार देखने को मिले है। दोनों देशों के बीच संबंध पहले से अधिक मजबूत और परिपक्व हुए, अभी तक छ अमेरिकी राष्ट्रपति भारत का द़ौरा कर चुके है। अंतिम बार 25 जनवरी 2015 को भारत की तीन दिन की यात्रा पर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा आये थे, भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बनने वाले वे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति है| लेकिन ऐसा पहली बार हुआ कि कोई अमेरिकी राष्ट्रपति भारत आकर पाकिस्तान नही गया।
इससे पहले जब भी कोई अमेरिकी राष्ट्रपति भारत दौरें पर रहा तो वो क्षेत्रीय संतुलन बनाये रखने के लिए पाकिस्तान जरूर जाता था, क्योंकि अमेरिका दोनों ही देशों से संबंध अच्छे बनाये रखना चाहता था, ऐसे मे ओबामा की इस यात्रा से भी अमेरिका की स्थिति स्पष्ट होती है कि वो भारत के साथ कैसे रिश्ते चाहता है। अमेरिका कहता रहा है की दक्षिण एशिया में आतंकवाद ने अस्थिरता पैदा की है, इस आतंकवाद के लिए पाकिस्तान ज़िम्मेदार है जो आतंकीयो को पनाह दे रहा है। शांति के लिए भारत के प्रयासों की सराहना करनी चाहीए। हालाकि कश्मीर मूद्दे पर अमेरिका की नीति स्पष्ट्र नही है। लेकिन अमेरिका भारत की उस नीति का समर्थन करता है जिसमें भारत कहता है कि कश्मीर समस्या का हल दोनों देशों की आपसी बातचीत से ही हो सकता है। इसमें किसी तीसरे देश का पक्ष स्वीकार्य नही है। भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक, रक्षा सहयोग बढ़ने से रिश्ते अब और ज्यादा मजबूत हुए हैं। यही चीजें पिछले दिनों भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा पर भी नजर आयी। अमेरिका पहुचते ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाऊस में पीएम मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया। इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर कहा था कि भारत अमेरिका का सच्चा दोस्त है। दोनों नेताओं के बीच आंतकवाद, रक्षा, आर्थिक क्षेत्र में सहयोग को लेकर द्विपक्षीय वार्ता भी हुई, ट्रंप ने अफगानिस्तान में भारत के सहयोग के लिए भी पीएम मोदी को धन्यवाद दिया।
मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति को परिवार सहित भारत आने का न्योता दिया। मोदी और ट्रंप दोनों ने साझा बयान में वैश्विक स्तर पर आतंकवाद से मिलकर लड़ने की बात कही, लेकिन क्या अमेरिका पाकिस्तान को आतंकवाद से लड़ने के नाम पर आर्थिक मदद देना बंद करेगा। क्योंकि सब जानते है कि पाकिस्तान इन पेसौ का उपयोग कंहा करता है। ऐसे में अमेरिका आतंकवाद से किस तरह से लड़ाई लड़ेगा ये देखना बडा दिलस्चप होगा। खैर वर्तमान परिस्थितियां में अब ये बात दोनों देश भी जानते है कि दोनों के पास एक-दूसरे को देने के लिए बहुत कुछ है। ऐसे में भविष्य में दोनों देशों के रिश्ते नये आयाम ले सकते है।