क्यों कोई विमान कभी नहीं ले सकता हिमालय के ऊपर से उड़ान ?

Bhawana Singh
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देश का मुकुट हिमालय बेहद खूबसूरत है, इसे देखना अपने आप में एक अलग अनुभाव दे जाता है लेकिन अफ़सोस हिमालय को देख पाना इतना आसान नहीं है। यदि आप चाहें भी तो इसके ऊपर से सफर नहीं कर सकते है क्योंकि हिमालय के ऊपर से किसी भी यात्री विमान के लिए कोई रुट निर्धारित नहीं किया गया है और इसके ऊपर से उड़ान भरना संभव नहीं है। इसके अनेक कारण है -


विमानों की उड़ान के प्रतिकूल मौसम


हिमालय का मौसम अस्थायी है और ज़ल्दी ज़ल्दी बदलता रहता है। यहाँ का मौसम काफी खराब भी रहता है जो विमानों के उड़ने के अनुकूल वातावरण नहीं है। इस तरह का मौसम प्लेन के लिए खतरनाक होता है, यहाँ न सिर्फ हादसें होने का डर होता है बल्कि हवा की असमान्य स्थिति की वज़ह से एयर प्रेशर सेट करने में कठिनाई आती है जिससे यात्रियों को काफ़ी नुकसान पहुँच सकता है।

हिमालय की ऊंचाई है सबसे बड़ा कारण

देश का मुकुट हिमालय 23 हजार फिट ऊंचा है, वहीं, आम तौर पर हवाई जहाज 30-35 हजार फिट ऊँची उड़ान भरते हैं, हिमालय का इतना ऊंचा होना विमानों के लिए संकटजनक हो सकता है इसका कारण है कि इमरजेंसी के लिए विमान में 20-25 मिनट का ऑक्सीजन होता है, और ऐसे में जहाज को 8-10 हजार फिट पर ही उड़ान भरनी होती है जिससे की लोगों को सांस लेने में तकलीफ न हो लेकिन हिमालय में 20-25 मिनट के समय में  30-35 हजार फिट से 8-10 हजार फिट पर आना संभव नहीं है।

नहीं है नेविगेशन की सुविधा

हिमालय में बसावट नहीं है, हिमालय के वातावरण में रहना आसान नहीं है। यहाँ नेविगेशन की उचित सुविधा भी मौजूद नहीं है। ऐसे में किसी भी इमरजेंसी की स्थिति में न तो आसपास लैंडिंग की कोई जग़ह या एयरपोर्ट होगा और न ही विमान एयर कंट्रोल से संपर्क करने का कोई साधन। हिमालय के ऊपर विमानों का उड़ान भरना संभव नहीं है क्योंकि इससे विमान और उसमें बैठे यात्रियों को ही ख़तरा होगा।


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