चीन में हो रही बिजली की परेशानी से है दुनिया को खतरा ?

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चीन बिजली की भारी कटौती से परेशान है और वहां लाखों घर और कारखाने इस मुसीबत का सामना कर रहे हैं, बिजली की भारी कटौती की समस्या दिन ब दिन गंभीर होती जा रही है क्योंकि सर्दी आ रही है और यह कुछ ऐसा है जिसका प्रभाव दुनिया के बाकी हिस्सों पर भी पड़ सकता है।



क्यों हो रही है चीन में बिजली की किल्लत?

कई सालों से चीन में ऐसी समस्या होना आम हो गया है, सरकार बिजली की मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन बनाने में संघर्ष कर रही है जिसकी वजह से चीन के कई हिस्सों में बिजली की कटौती की समस्या आम हो गई है।

गर्मियों और सर्दियों के दौरान बिजली की जब सबसे अधिक मांग होती है तो ये समस्या और आम हो जाती है। इस साल ये समस्या कुछ ज्यादा ही बढ़ गई इसका कारण है कोरोना महामारी के बाद जब सब खुला तो चीन के सामानों की मांग एकदम से बढ़ी और उन्हें बनाने वाले चीन के कारखानों को इसके लिए अधिक बिजली की ज़रूरत पड़ी।

2060 तक देश को कार्बन मुक्त बनाने के लिए चीन ने जो नियम बनाए है उसकी वज़ह से कोयला वैसे भी कम ही बन रहा था। इसके बावजूद अपनी आधे से ज्यादा ऊर्जा ज़रूरतों के लिए चीन आज भी कोयले पर ही निर्भर है और जैसे जैसे बिजली की मांग बढ़ी है, कोयला भी महंगा हो रहा है।

चीनी सरकार बिजली की कीमतों को सख्ती के साथ नियंत्रित कर रही है जिसकी वज़ह से कोयले से चलने वाले पावर प्लांट घाटे में काम करने के लिए तैयार नहीं हैं और उनमें से कई ने तो काम बंद ही कर दिया है।

ब्लैकआउट से किसपर असर पड़ रहा है?

चीन में वो जग़ह जहाँ बिजली की आपूर्ति सीमित है वहाँ घरों और कारखानों को भारी नुकसान हो रहा है. चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स के अनुसार चार प्रांतों- दक्षिण चीन के ग्वांग्डोंग और पूर्वोत्तर चीन के हेइलोंगजियांग, जिलिन और लिआओनिंग में बिजली चली जा रही है,देश के अन्य हिस्से भी इस समस्या से दूर नहीं है।

 कई कंपनियों को निर्देश है कि वो पीक टाइम में बिजली के इस्तेमाल को कम करें या फिर अपने वर्किंग डेज कम कर दे इस्पात, एल्युमिनियम, सीमेंट और उर्वरक से जुड़े उद्योगों पर सबसे ज़्यादा प्रभावित है क्योंकि यहाँ बिजली की जरूरत सबसे ज़्यादा होती है।


ख़तरे में है चीन की अर्थव्यवस्था

आंकड़ो के अनुसार सितंबर 2021 में चीन के कारखानों में फ़रवरी 2020 के बाद से काम सबसे कम हो गया है कोरोना ने देश की अर्थव्यवस्था को हिला के रख दिया है ।चीन के आर्थिक विकास की दर को भी अब घटा दिया है. चीन की औद्योगिक गतिविधि 44% तक कम हो गई है.

पूरी दुनिया पर पड़ेगा चीन के इस संकट का असर

पूरी दुनिया भी चीन की समस्या से प्रभावित हो सकती है ,चीन समान बनाने में नाकाम हुआ तो सामानों की सप्लाई प्रभावित हो सकती है. कोरोना में बाज़ार जब से फिर से खुले है पहले से ही डिमांड को पूरा करना मुश्किल है ऐसे में चीन में पावरकट, ब्रिटेन में पेट्रोल स्टेशनों के बाहर लंबी क़तारें, यूरोप में ईंधन के दाम में वृद्धि और थोक बाज़ारों में तेल, गैस और कोयले की क़ीमतों जैसे रोड़े ईंधनों की कमी जैसी किसी बड़ी समस्या की ओर इशारा कर रहे है ।

Tags: Travel, History

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