एक ऐसा तोप जिसके एक गोले से बन जाता था तालाब

Bhawana Singh
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भारत ने बहुत सी लड़ाईया देखी है और हर लड़ाई में अलग अलग तरह के औज़ारों का इस्तेमाल हुआ है. चाहें तलवारें हो, भाले हो, धनुष हो या तोपे। देश में सैकड़ो वर्षो से तोपों का उपयोग किया जाता रहा है। कहा जाता है कि तोपें इतनी खतरनाक होती थी कि वो किसी भी चीज़ को नष्ट कर सकती थी। राजा-महाराजा अपनी लड़ाइयों में तोपों का इस्तेमाल करके दुश्मन के खेमों , उनके दरवाजों और तो और दूर से ही उनकी संपति को नष्ट किया करते थे। तोपों में बारूदी गोला भरकर हमला किया जाता है। आज भी कई लड़ाई में तोपों का इस्तेमाल होता है क्योंकि तोपें हर चीज़ को नष्ट करने में सक्षम है।


पहली बार कब हुआ था तोप का इस्तेमाल?


माना जाता है कि सबसे पहले , पानीपत की पहली लड़ाई में मुग़ल बादशाह बाबर ने तोप का इस्तेमाल किया था। भारत में विश्व की सबसे बड़ी तोपों में से एक तोप मौजूद है। माना जाता है कि जब ये तोप चलाई जाती थी तो अपने एक गोले से ही गहरा तालाब बना देती थी। इस बेहद खतरनाक तोप का नाम जयबाण तोप है। जो आज भी राजस्थान की राजधानी जयपुर के जयगढ़ किले में रखी है। इस तोप को देखने के लिए दुनियाभर से पर्यटक आते है। इसे देखने के लिए अक्सर लोगों की लंबी लंबी लाइन्स लगती है। राजा जयसिंह द्वारा बनवाई गई ये तोप , 1720 ईसवी में स्थापित की गई थी। राजा जयसिंह चाहते थे कि उनकी प्रजा सुरक्षित रहें इसलिए उन्होंने इतनी बड़ी तोप बनवाई जिसको देख कर ही दुश्मन सेना डर जाती थी और पीछे हट जाती थी।इससे राजा की प्रजा और रियासत दोनों सुरक्षित रहते थे।


तोप को देख कर आज भी अचंभित होते है लोग

इतनी विशाल तोप को देख के लोग आज भी अचंभित रह जाते हैं। इसके आकार के कारण इसे किले में ही रखा गया है और इसे आज तक बाहर नहीं ले जाया गया। इसे हिलाना और दूसरी जग़ह ले जाना बेहद कठिन है। बात तो ये है कि ये तोप लड़ाई से बचने के लिए राजा द्वारा बनवाई गयी थी। लेकिन आजतक इसका किसी भी लड़ाई में इस्तेमाल ही न हो सका क्योंकि तोप को देखकर ही दुश्मन हार मान लेता था।

जानें तोप का वज़न

ये तोप 50 टन से भी अधिक भारी मानी जाती है। ये तोप 50 टन का है और इसमें इस्तेमाल होने वाले गोलें भी लगभग 50 किलों के ही होते थे। इसके बैरल की लंबाई लगभग 6.15 मीटर है। इसी के साथ ही बैरल में दो कड़ियों को भी लगाया गया है। इन कड़ियों की वज़ह से आवश्यकता के समय , क्रेन की मदद से इस तोप को आसानी से उठाया जा सकता है।

तोप ने बना दिया था तालाब

इस तोप का उपयोग कभी लड़ाई में तो नहीं किया। लेकिन एक बार एक परीक्षण में इस तोप को इस्तेमाल करके इसके प्रभाव को देखा गया था। माना जाता है कि इसके गोलें लगभग 30 से 35 किलोमीटर दूर जाके गिरे थे और उनके असर से उस जगह में तालाब बन गया था। बताया जाता है कि ये तालाब आज भी मौजूद है और स्थानीय लोग आज भी उस तालाब का इस्तेमाल करते हैं।


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