भारतीयों से नफरत करते थे पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री विन्सटन चर्चिल, हिंदूओं के खिलाफ देते थे हमेशा नफरत भरें बयान

Savan Kumar
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 चर्चिल ने भारत की आजादी मिलने से ठीक 5 महीने पहले ब्रिटेन की संसद में कहा, "सत्ता दुष्टों, दुराचारियों और लूटेरों के हाथों में चली जाएगी। भारत के सभी नेता ओछी क्षमता वाले और भूसा किस्म के व्यक्ति होंगे। उसकी जुबान मीठी होगी लेकिन दिल बेकार होंगे। वे सत्ता के लिए एक-दूसरे से लड़ेंगे और इन राजनीतिक संघर्षों में भारत शासक बनेगा। एक दिन आएगा जब भारत में हवा और पानी पर भी टैक्स लगेगा।"

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जब हम आज विन्सटन चर्चिल के इस बयान को फिर से पढ़ते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे कि एक भविष्यवाणी थी जो 70 वर्षों के बाद क्या होने वाली है, इसकी सटीक तस्वीर पेश कर रही थी। यह ऐसा है जैसे यह चित्र पहले ही लिया जा चुका है और सबके सामने दिखाया जा रहा है।

चर्चिल की उस पंक्तियों का क्या अर्थ था, किस संदर्भ में यह कहा गया था कि इसे समझना उतना आसान नहीं है जितना कि पढ़ने में लगता है। आज भी, बुद्धिजीवियों का कहना है कि चर्चिल उस बयान के दौरान नाखुश थे क्योंकि उनके अनुसार, "सोने की चिड़िया को लूटना अभी बाकी था।"

भारतीयों से नफरत करते थे ब्रिटेन प्रधानमंत्री विन्सटन चर्चिल 

आजादी नहीं देने के संदर्भ में, चर्चिल की ये बातें दूर से देखने वाली बात लगती हैं, लेकिन कोई भी अंग्रेज भारत के इतिहास से ज्यादा विषाक्त नहीं होगा। चर्चिल ने भारत के प्रति अपनी शैतानी सोच में कहा, "मैं भारतीयों से नफरत करता हूं। वे लोग जानवरों की तरह धर्म वाले लोग हैं।"

इतिहासकार मधुश्री मुखर्जी ने अपनी पुस्तक चर्चिल की सीक्रेट वॉर में दावा किया है कि 1943 में बंगाल का अकाल आपदा नहीं बल्कि चर्चिल की सुनियोजित, समझी और प्रायोजित साजिश थी। जिसमें लगभग 30 लाख लोग भूख से अपनी जान गंवा बैठे। उसी समय, उन्होंने महात्मा गांधी की मृत्यु की कामना की थी और उनके लिए 'अधनंगा फकीर' जैसे शब्दों का भी इस्तेमाल किया था।

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चर्चिल ने धार्मिक दृष्टिकोण से हर काम, हर बयान, हर व्यक्ति को तोला।

इसके साथ ही, चर्चिल ब्रिटिश शासन का दुर्भाग्यशाली प्रधानमंत्री था जिसने धार्मिक दृष्टिकोण से हर काम, हर बयान, हर व्यक्ति को तोला। उनकी नजर में हिंदू अपने व्यवहार में सबसे बेईमान थे, जबकि मुसलमान विश्वासपात्र और बहादुर थे। लंदन में, सोवियत राजनयिक इवान मिखाइलोविच मास्की से उन्होनें कहा कि "अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया जाना चाहिए।"

क्योकिं वे योद्धा हैं जबकि हिन्दू विन्ड्बैग (मात्र बात करने वाले) हैं, हिन्दू सिर्फ सटीक भाषणों, कुशलता से संतुलित प्रस्तावों और हवा में महल बनाने की बाते करने में एक्सपर्ट हैं!

चर्चिल ने हमेशा से मुसलमानों के विश्वास की प्रशंसा की और हिन्दुओ को नकारा साबित करने की कोशिश की,  उन्होनें दुसरे विश्व युद्ध के दौरान तत्कालीन अमरीकी प्रेसिडेंट रुज़वेल्ट से झूठ बोला कि भारतीय फ़ौज में बहुसंख्य मुसलमान हैं, जबकि वास्तव में बहुमत हिंदू थे।

चर्चिल अंग्रेजो की फूट डालो और राज करो निति का सबसे बड़ा हिमायती था

चर्चिल अंग्रेजो की फूट डालो और राज करो निति का सबसे बड़ा हिमायती था, उसने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलनों में जानबूझकर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच फूट डालने के प्रयास कियें। जिसके बाद पाकिस्तान जैसा विनाशकारी परिणाम बहार आया, साथ ही उसने उम्मीद बांध रखी थी कि, बंटवारे के बाद भी पाकिस्तान ब्रिटेन के प्रभाव क्षेत्र में ही रहेगा!

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इन सब के बावजूद, 2015 में, तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन (David Cameron) ने चर्चिल की हिटलरवादी छवि को नकारते हुए उन्हें "सबसे महान प्रधानमंत्री" कहा था।

2015 के वर्ष में, ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा था कि ब्रिटेन को "हिंदू धर्म से प्रेरणा की आवश्यकता" है। के रूप में वर्णित किया था। वही हिंदू धर्म जिसको उनके "सबसे महान प्रधानमंत्री" विन्सटन चर्चिल ने बुरा साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

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Tags: Travel, History

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