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यानि अमिताभ और अक्षय को फिल्मों की शूटिंग करनी है तो तेल मूल्य वृद्धि का विरोध करना ही पड़ेगा। क्या यह धमकी असहिष्णुता वाली नहीं है? क्या आप किसी कलाकार को धमका कर विरोध करवा सकते हैं? सब जानते हैं कि अमिताभ बच्चन और अक्षय कुमार जैसे अभिनेता हमेशा राष्ट्रहित की बात करते हैं।
अमिताभ बच्चन तो सरकार के जनहित के विज्ञापनों के पैसे भी नहीं लेते हैं तथा अक्षय कुमार हमारे शहीद जवानों के परिवारों की मदद करने के लिए अभियान चलाते रहते हैं। नाना पटोले की धमकी का कितना असर होगा, आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन इससे एक राजनीतिक दल की सोच का पता चलता है।
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कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे राकेश टिकैत ने धमकी दी है कि कानून वापस नहीं हुआ तो किसान अपनी फसलें जला देंगे। टिकैत का यह भी कहना है कि दिल्ली में दोबारा से मार्च के लिए किसानों को अपने टे्रक्टरों में डीजल भरवा कर तैयार रखना है। सब जानते हैं कि 26 जनवरी को ट्रेक्टर मार्च की आड़ में दिल्ली में कैसी हिंसा हुई थी। अभी इस हिंसा के आरोपी गिरफ्तार हो ही रहे हैं कि दोबारा से टे्रक्टर मार्च की धमकी दे दी गई है।
टिकैत की ऐसी धमकियों का कितना असर होता है, यह समय ही बताएगा
लोकतांत्रिक व्यवस्था में क्या ऐसी धमकियां दी जा सकती है? एक तरफ कहा जा रहा है कि किसान गरीब है तो दूसरी ओर गरीब किसान की फसल ही जलवाई जा रही है। सरकार ने जब यह स्पष्ट कर दिया है कि कृषि कानून वैकल्पिक है, तब कानूनों को वापस लेने की मांग बेमानी है। यदि कोई किसान परंपरागत तरीके से ही खेती कर अपनी फसल मंडियों में बेचना चाहता है तो उसे पूरी तरह छूट है।
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सरकार की पहल के बाद ही दिल्ली की सीमाओं पर किसानों की संख्या लगातार कम हो रही है
सरकार की पहल के बाद ही दिल्ली की सीमाओं पर किसानों की संख्या लगातार कम हो रही है। खुद राकेश टिकैत यूपी, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान आदि में किसान पंचायतें कर रहे हैं। महाराष्ट्र में तो उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना की सरकार ने राकेश टिकैत को किसान सम्मेलन करने की अनुमति ही नहीं दी है। आंदोलन के कमजोर होने के बाद ही राकेश टिकैत धमकी भरी भाषा बोल रहे हैं।