विदेश मंत्री की भारत में बेइज्जती या सबक, सीमा विवाद के बाद नेपाल के सरकारी मंत्री का पहला भारत दौरा

Savan Kumar
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नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ज्ञवाली  की भारत यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक के बिना समाप्त हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश मंत्री को समय नहीं देकर पड़ोसी देश का स्पष्ट संदेश दिया है। भारत सरकार का कहना है कि जब तक नेपाल नए नक्शे के बाद उत्पन्न सीमा विवाद को हल करने में सक्षम नहीं होगा, तब तक इसके साथ कोई ठोस बातचीत नहीं होगी।

नेपाल ने नए नक्शे में भारतीय क्षेत्र लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को अपने हिस्से में दर्शाया है। दरअसल, नेपाल चाहता था कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध आगे बढ़ें जैसे कि दोनों देशों के बीच कुछ भी नहीं हुआ था।हालाँकि भारत नेपाल के साथ विकास, कनेक्टिविटी, व्यापार और अन्य क्षेत्रों में काम कर रहा है, लेकिन यह पहले के समान नहीं है।

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नेपाली विदेश मंत्री की यात्रा ने संकेत दिया है कि दोनों देशों के संबंध वापस पटरी पर लौट रहे हैं। कोरोना वैक्सीन को लेकर भारत ने नेपाल के साथ सहयोगात्मक रुख अपनाया है। नेपाली विदेश मंत्री के भारत दौरे पर पीएम मोदी से नहीं मिल पाने का आधिकारिक कारण कोरोना वैक्सीनेशन के लॉन्च कार्यक्रम को बताया गया।

नेपाली विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ज्ञवाली और जयशंकर के बीच वार्ता में दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं की समीक्षा की गई और कनेक्टिविटी, व्यापार और ऊर्जा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में संबंधों को मजबूत करने के लिए सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की गई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नेपाल के विदेश मंत्री से मुलाकात के बाद कहा कि भारत-नेपाल संबंधों में अपार संभावनाएं हैं।

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सीमा  विवाद सामने आने के बाद पहली बार भारत दौरे पर नेपाल के बड़े नेता

नेपाल विदेश सचिव भरत राज पौडयाल के साथ ज्ञवाली गुरुवार को तीन दिवसीय भारत दौरे पर आये थे। ज्ञानवाली ने शुक्रवार को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बैठक में द्विपक्षीय संबंधों के पूरे मुद्दों पर चर्चा की।नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली द्वारा पिछले साल एक विवादास्पद नया नक्शा प्रकाशित करने के बाद सीमा विवाद सामने आया था। इसके बाद वह भारत आने वाले इस देश के पहले वरिष्ठ नेता थे।

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भारत ने नेपाल के दावे को पूरी तरह खारिज किया था

इस विवादित नक्शे में नेपाल के हिस्से के रूप में लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख के भारतीय क्षेत्र को दर्शाया गया है। भारत ने नेपाल के इस कदम पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी और उसके दावे को खारिज कर दिया था। इसके बाद से दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए थे।


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Tags: Travel, History

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