भारत RCEP में भी शामिल था, लेकिन भारत ने पिछले साल अपने व्यापारिक हितों के कारण इसे छोड़ दिया। हालांकि, समझौते में भारत की भागीदारी का विकल्प खुला रखा गया है।
RCEP का विचार पहली बार 2011 में ASEAN शिखर सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया था, जिसमें 15 नवंबर को चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया सहित 10 आसियान (ASEAN) सदस्य देशों ने हस्ताक्षर किए। आसियान (ASEAN) में इंडोनेशिया, मलेशिया, वियतनाम, लाओस, कंबोडिया, म्यांमार, थाईलैंड, ब्रुनेई, सिंगापुर और फिलीपींस शामिल हैं।
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यह आरसीईपी समझौता चीन के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है क्योंकि चीन उनके बीच सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और अतीत में अमेरिका-चीन के बीच व्यापार विवादों के कारण उन्हें नुकसान उठाना पड़ा है। चीन आरसीईपी में अधिक दिलचस्पी रखता है क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प का चीन पर चौतरफा दबाव व यूरोपिय संघ का चीन में मुसलमानों पर अत्याचार पर विवाद से व्यापार करना बहुत मुश्किल हो गया है। ऐसे में चीन इन देशों से ट्रेड डील कर अपने व्यापार को तेजी से बढ़ाना चाहता है। भारत अपने व्यापारिक हितों के मद्देनजर आरसीईपी समझौते में शामिल नहीं हुआ है क्योंकि भारत को इसमें शामिल होने के लिए अपना बाजार खोलना पड़ेगा और चीन इसमें शामिल है। चीन से सस्ते उत्पादों के आयात में वृद्धि होने की संभावना और चीन से सस्ते आयात बढ़ने के कारण देश के घरेलू उद्योग और व्यापार को प्रभावित करने की संभावना अधिक है।
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यदि भारत इसमें शामिल होता तो देश के घरेलू कृषि और डेयरी से जुड़े कारोबार पर असर पड़ने की संभावना थी, क्योंकि इस समझौते में शामिल होने से ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के सस्ते दूध पाउडर और अन्य दूध उत्पाद देश के किसानों और डेयरी व्यापारियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। भारत की सबसे बड़ी समस्या व्यापार घाटा
भारत के सामने सबसे बड़ी समस्या भारत का व्यापार घाटा है। जब किसी देश का आयात उस देश के निर्यात से अधिक होता है, तो इस स्थिति को व्यापार घाटा कहा जाता है। इन 16 देशों के साथ व्यापार में, भारत 11 देशों के साथ व्यापार घाटे में है। मतलब कि भारत इन देशों से जितना खरीदता है, उससे कहीं कम बेचता है। सबसे बड़ा व्यापार घाटा चीन के साथ है।
2014-15 में नरेंद्र मोदी की सरकार के सत्ता में आने के बाद चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 2600 अरब रुपये था, जो 2018-19 में बढ़कर 3700 अरब रुपये हो गया है।
आर्थिक मंदी भी भारत के लिए एक बड़ी चिंता है। केयर के अनुसार, 2019 के पहले आठ महीनों में भारत की निर्यात वृद्धि दर 11.8 प्रतिशत से घटकर 1.4 प्रतिशत पर आ गई थी। यदि यह गिरावट जारी रही, तो भारत का व्यापार घाटा और बढ़ जाएगा क्योंकि भारत अन्य देशों को निर्यात करने की तुलना में अधिक आयात करेगा।
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RCEP है क्या
क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक व्यापक भागीदारी The Regional Comprehensive Economic Partnership (RCEP) दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के आसियान (ASEAN) समूह के 10 सदस्यों और चीन सहित 15 देशों के बीच एक व्यापार समझौता है। इस व्यापार समझौते का उद्देश्य आरसीईपी में देशों के बीच व्यापार को सुविधाजनक बनाना है।

