दो प्लस टू बैठक के बाद भारत के एक अंग्रेजी न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने इस बात का जवाब दिया कि यदि भारत-चीन के बीच युद्ध होता है तो क्या अमेरिका भारत की सैन्य मदद करेगा। अमेरिका के विदेश मंत्री ने पहली बार भारतीय न्यूज चैनल को अपना इंटरव्यू दिया। इसमें माइक पोम्पिओ ने कहा कि भारत और अमेरिका मिलकर चीन को रोक सकते हैं।
पोम्पेओ ने घोषणा की कि संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत मिलकर के किसी भी तीसरे देश को रोक सकते है और अमेरिका को भारत की मदद के लिए जो करना पडेगा वा करेगा।Follow Our Facebook & Twitter Page : (The Found) Facebook Twitter
भारत-चीन के बीच 1962 जैसी स्थिति बनती है तो क्या अमेरिका भारत की सैन्य रूप से मदद करने पर विचार करेगा इस सवाल पर पोम्पेओ ने कहा, "आप उन चीजों को देख सकते हैं जो हम कर रहे हैं। हमने चीन के लिए अमेरिका में निवेश करना मुश्किल बना दिया है। हम सिर्फ निष्पक्ष और आपसी व्यापार चाहते हैं। हमने अपनी सेना ऐसी बनाई है जैसी दुनिया में कोई सेना नहीं रही है। हमारी कूटनीति बदल गई है... हम दुनिया भर के स्वतंत्रता-प्रेमी देशों की मदद करने के लिए तैयार हैं।"
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अगर कोई लोकतंत्र को चुनौती देता है तो अमेरिका हमेशा लोकतंत्र के साथ खड़ा होगा
पोम्पेओ ने चीन को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि भारत ने भी अमेरिका की तरह लोकतंत्र, स्वतंत्रता और संप्रभुता को चुना है और अगर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी इसे चुनौती देती है, तो आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अमेरिका एक साझेदार के रूप में भारत के साथ खड़ा होगा।
दुनिया में लोकतंत्र और तानाशाही के बीच लड़ाई
पोम्पियो ने कहा कि अमेरिका भारत का भागीदार बनना चाहता है क्योंकि 'दुनिया में स्वतंत्रता और तानाशाही के बीच लड़ाई' है। उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत के लोगों को सुरक्षा देने के लिए जो भी कदम उठाने की जरूरत है, उसके लिए तैयार है। पोम्पेओ ने यह भी कहा कि अमेरिकी भी भारत से यही उम्मीद करता है।
अमेरिका भारत-चीन के बीच शांति चाहता है
अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा अमेरिका को उम्मीद है कि भारत और चीन के बीच LAC पर तनाव कम होगा। यह चीन के साथ-साथ भारत और दुनिया में भी हित में है। उन्होंने कहा कि हम वहां संघर्ष नहीं चाहते हैं। हम हर जगह शांति चाहते हैं।
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किसी भी देश का कमजोर दिखना मतलब चीन शासन को आमंत्रित करना जैसा
साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई भी देश किसी भी समय कमजोरी दिखाता है, तो यह चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की आक्रामकता को आमंत्रित करने जैसा है। इसलिए श्रीलंका, मालदीव, इंडोनेशिया जैसे देश एकजुट होकर चीनी आक्रामकता का सामना करें।

