नए भारत का 'रफाल युग' आज से शुरू होने जा रहा है, फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली और भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में अंबाला एयरबेस पर पांचों लडाकू विमान रफाल को वायुसेना में शामिल किया गया। साथ ही रफाल इंडक्शन सेरेमनी में भाग लिया,आकाश से भारत के आक्रमण की धार देने के लिए,अब राफ़ल जैसे योद्धा वायु सेना में शामिल हो गए। यह खबर चीन और पाकिस्तान दोनों की चिंता बढ़ाने वाली है।
भारतीय सेना के घातक हथियार पहले ही परमाणु हमला करने में सक्षम थे, लेकिन अब वायु सेना के बाहुबली रफाल भारत की ताकत को मजबूत करेंगे। परमाणु मिसाइलों को ले जाने की रफाल की क्षमता इसे अलग बनाती है, यह चीन और पाकिस्तान के सबसे शक्तिशाली फाइटर जेट्स में से भी नहीं है।
राफेल की ख़ास बातें...
दोनों राफल्स जुड़वां पीढ़ी के इंजन, डेल्टा-विंग, अर्ध-चुपके क्षमताओं के साथ चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमान हैं, यह न केवल चुस्त है, बल्कि एक परमाणु हमला भी किया जा सकता है। एक राफेल में दुश्मनों के पांच विमानों को ढेर करने की शक्ति है, रफाल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल है, जिसकी रेंज 150 किलोमीटर से अधिक है। इसे ऐसे समझें कि यह मिसाइल भारत की सीमा के भीतर से पाकिस्तान में 150 किलोमीटर तक हमला कर सकती है।
कोई भी लड़ाकू विमान कितना शक्तिशाली है, यह उस विमान की तकनीक और सेंसर क्षमता और हथियारों पर निर्भर करता है। इसका मतलब है कि यह लड़ाकू विमान कितनी दूर तक देख सकता है और कितनी दूर तक अपने लक्ष्य को नष्ट कर सकता है। रफाल इस मामले में एक बहुत ही आधुनिक और शक्तिशाली विमान है
चीन के J-20 से बेहतर है राफेल
यदि आप चीनी J-20 और भारत के राफेल की तुलना करते हैं, तो राफेल कई मामलों में J-20 पर भारी पड़ता है। ठीक उसी तरह जैसे रफाल का कॉम्बैट रेडियस 3 हजार 700 किलोमीटर है जबकि J-20 का कॉम्बैट रेडियस 3 हजार 400 किलोमीटर है। कॉम्बैट रेडियस का मतलब है कि फाइटर प्लेन एक बार में अपने बेस से कितनी दूरी तक जा सकता है।
चीन को अपने जे -20 लड़ाकू विमान के लिए एक नई पीढ़ी का इंजन तैयार करना बाकी है और वर्तमान में वह रूसी इंजन का उपयोग कर रहा है, जबकि राफेल में एक शक्तिशाली और विश्वसनीय एम -88 इंजन है।
राफेल में तीन तरह की घातक मिसाइलों के साथ 6 लेजर गाइडेड बम भी फिट किए जा सकते हैं। रफाल अपने वजन से डेढ़ गुना ज्यादा वजन उठा सकता है जबकि J-20 अपने वजन से 1.2 गुना ज्यादा उठा सकता है। यानी रफाल अपने साथ और भी हथियार और ईंधन ले जा सकता है।
14 वर्षों से फ्रांसीसी वायु सेना और नौसेना में तैनात है राफेल
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रफाल ने युद्ध के मैदान में अपनी क्षमता दिखाई है, रफाल पिछले 14 वर्षों से फ्रांसीसी वायु सेना और नौसेना में तैनात हैं, अबतक अफगानिस्तान, इराक, सीरिया और लीबिया में, रफाल ने अपनी क्षमता दिखाई है, जबकि तुलनात्मक रूप से चीन ने अपने जे -20 लड़ाकू विमान 2017 को सिर्फ तीन साल पहले लाया है।