CAA का मुद्दा जहां पूरी तरह मुसलमानों पर अटक गया हालांकि जो एक कानून बनाया गया था यह भारत के पड़ोसी राष्ट्रों से आने वाले अल्पसंख्यकों के लिए था जिसमें भारत में उन्हें नागरिकता दी जानी थी लेकिन इसमें मुसलमानों को शामिल नहीं किए जाने पर भारत के मुसलमानों ने इसका विरोध किया और कई महीनों तक प्रदर्शन किया,
इस देश में मॉब लिंचिंग की घटनाएं भी आम है जब भी देश में मॉब लीचिंग की घटना होती है तो वह मुद्दा हाईलाइट हो जाता है और पूरे देश में इस पर चर्चा होने लगती हैं लेकिन हाल ही में महाराष्ट्र के पालघर में हुई दो संतों के साथ मॉब लिंचिंग की घटना इस देश में अभी भी मुद्दा नहीं बन पाई... इसका कारण या तो इन संतों की मौत किसी के लिए कोई मायने नहीं रखती या फिर इसका सबसे बड़ा कारण जो उभर कर आ रहा है वह यह है कि जिनके साथ मॉब लिचिंग हुई वो हिंदू थे सनातन धर्म के थे, अगर इनकी जगह कोई मुसलमान होता जो इस मॉब लिंचिंग का शिकार हुआ होता तो अब तक देश में बवाल मच चुका होता, फिल्म स्टार हो या पॉलिटिक्स इन सबकी भावनाएं आहत हो चुकी होती,
कोरोना वायरस में भी संप्रदायिकता ने रंग तब ले लिया जब देश में लॉकडाउन लगने के बाद भी दिल्ली के मरकज में प्रोग्राम जारी रहा, और हजारों लोग वंहा छूपे रहे। दिल्ली के मरकज में हुए प्रोग्राम में से कई लोगों में कोरोना पॉजिटिव पाया गया, देश में अभी भी कुल कोरोना पॉजिटिव लोगों में 30 फीसदी लोग मरकज जमात के है लेकिन ये लोग अभी भी अपनी गलती मानने को तैयार नहीं है, इसके अलावा कोरोना के इस संकट में जो चिकित्सा कर्मी हेल्थ वर्कर लोगों की सहायता के लिए दिन रात काम कर रहे हैं उन पर जो पत्थर फेंके गए या उनके साथ जो भी घटनाएं हुई वह भी मुस्लिम इलाकों में ही हुई है, इसीलिए सवाल बहुत बड़े हो जाते हैं। और हर घटना सांप्रदायिक का रंग ले लेती है।
CAA के विरोध को लेकर जो लोग शाहीन बाग का धरना छोड़ने को तैयार नहीं थे वे कोरोना आते ही अपने घरों में चले गये यह भी ये दिखाता है कि ये मुद्दा केवल कुछ कट्टरपंथी और बुद्धिजीवीयों कि उपज के अलावा कुछ नहीं था,
लेकिन मुद्दा यहीं नहीं थमा मरकज जमात ने फिर देश को एक नया मुद्दा दे दिया कि जिस पर खुलकर राजनीति हो सकें, जमातियों के विरोध में लोग बोलने लगें तो बात सारें मुसलमानों पर आ गई, और इस घटना पर देश का मुसलमान बोलने को मजबूर हो गया। ऐसा नहीं है कि देश के सारे मुसलमान इस घटना को समर्थन दे रहे है लेकिन कुछ कट्टर लोगों की वजह से देश के मुसलमानों को बदनाम करने की साजिश भी रच की जाती रही है इस देश का मुसलमान जमाती घटना का विरोध कर रहा है लेकिन जो देश के सामने आ रहा था वह यह कि मुसलमान भी इस घटना का समर्थन कर रहा है।
हाल ही में 16 अप्रैल को हुई महाराष्ट्र के पालनघर में मॉब लिंचिंग की घटना भी इन दिनों थोड़ी सुर्खियों में है हालांकि उतनी सुर्खियों में नहीं है जब मॉब लिंचिंग किसी और विशेष धर्म के साथ हो जाता है उस समय तो इतनी सुर्खियों में रहता है कि सब निकल कर सामने आ जाते है, कोई देश को रहने लायक नहीं बताता, कोई बुद्धिजीवी इसे पूरी दुनिया में हिंदुस्तान की बदनामी बताता है, तो देश के फर्जी अवार्ड गैंग भी असहिष्णुता के नाम पर अवार्ड वापसी पर लग जाती है,
लेकिन अब जो भारत दुनिया में संतों का देश माना जाता है उनको इस देश में मार दिया गया एक भीड़ के द्वारा, तब इस देश की बदनामी नहीं होती तब उनकी जुबान से कुछ भी नहीं निकलता और कोई सेलिब्रिटी भी इस पर नहीं बोलता, ना ही कोई अवार्ड गैंग इस पर अवार्ड वापस करती है। यह इस देश की सबसे बड़ी कमजोरी है जहां पर 80 फीसदी आबादी हिंदुओं की है वहा आज भी आखिर हिंदू पीड़ित क्यों है? यह एक बड़ा सवाल है हाल ही में जब कंगना रनौत की बहन ने मरकज जमात पर ट्वीट किया तो विवाद हो गया और फिल्मी एक्टर भी इसकी निंदा करने लगे, इन सबको जबाव देने आयी कंगना रनौत, कंगना ने अपनी बहन का बचाव किया और एक वीडियो के माध्यम से समझाने की कोशिश की कि उसकी बहन ने जो भी बोला वह गलत बिल्कुल नहीं है...
#KanganaRanaut speaks up on suspension of #RangoliChandel's Twitter account.@rangoli_A pic.twitter.com/eRlaaG8bzQ
— Team Kangana Ranaut (@KanganaTeam) April 18, 2020
इसके अलावा रेसलर बबीता फोगाट ने भी जमातियों पर ट्वीट किया तब विवादों में आ गई, और सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल किया गया यंहा तक उनका अंकाउट संस्पेंड करने की बात भी कहीं गई, और बड़े-बड़े फिल्मी स्टार और राजनीतिक बुद्धिजीवी उन पर कमेंट करने लगे कि जिस मुसलमान ने उन्हें इतना फेमस कर दिया उन्हीं को वह बदनाम करने पर तुली है इस पर भी बबीता फोगाट ने जमकर जवाब दिया..
यदि आप बबीता फोगाट को सपोर्ट करते हैं तो उन तक यह बात जरूर पहुंचा दीजिए और उनको बोलिए ध्यान से कान खोल कर सुन लें। pic.twitter.com/gqec3lQwPE
— Babita Phogat (@BabitaPhogat) April 17, 2020
अब बात करते हैं महाराष्ट्र के पालघर में हुई घटना की जो लोग जिंदगी भर हिंदुओं के नाम पर राजनीति करते आए हमेशा हिंदू धर्म को ही सर्वेसर्वा माना... हम बात कर रहे शिवसेना की आज उन्हीं के राज में दो संतों की हत्या कर दी गई मॉब लिंचिंग के द्वारा, जिस देश में हिंदू आबादी बहुमत में हो वहां पर आज भी हिंदू एक पीड़ित बनकर रह गया है क्या आज उनकी आवाज उठाने वाला कोई क्यों नहीं है।
जो हमेशा हिंदुत्व की बात करते थे आज उन्हीं के राज्य में हिंदुओं के साथ इतना बड़ा अत्याचार हो रहा है और वह चुप है, संतो के साथ मॉब लिंचिंग हुई लेकिन सरकार की पुलिस खड़े-खड़े मूकदर्शक बनकर यह सब कुछ एक तमाशे की तरह देखती रही... #पालघर_के_गुनहगार#PalgharMobLynching #Palghar pic.twitter.com/3JETYWomYE
— Savan Kumar (@savanmkumar) April 20, 2020
बात यह नहीं है कि ऐसी घटनाएं देश में पहली बार हो रही है लेकिन सवाल यह है कि लोग हर घटना पर सिलेक्टिव क्यों हो जाते हैं सांप्रदायिक रंग क्यों देने लगते है, जब किसी विशेष धर्म के साथ कुछ घटना घटती है तो पूरा देश इस पर बोलने लगता है राजनीति होने लगती है इस ऐसी घटनाओं पर हर सेलिब्रिटी बोलने लगता है हर क्षेत्र से जुड़ा व्यक्ति बोलने लगता है यही घटना अगर दूसरे धर्म के लोगों के साथ होती है तो वह उन्हें सूट नहीं करती वह इस पर मौन रहते हैं मौन धारण करें रहते हैं और बिल्कुल चुप रहते हैं सवाल यही है ऐसे लोगों की वजह से ही देश में कट्टरता बढ़ती है। आज असहिष्णुता वाले कहां है। उन्हें सामने आना चाहिए और ऐसी घटनाओं की निंदा करनी चाहिए।