किसान आंदोलन के बीच स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने के लिए सरकार पर बढ़ता दबाव

Savan Kumar
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 देश में चल रहें किसान आंदोलन में अब अन्ना हजारे में शामिल होने जा रहे है और वे किसानों के समर्थन में आमरण अनशन भी करेंगे। अन्ना हजारे ने कहा कि सरकार को स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करनी चाहिए। इसी को लेकर देश में जब भी किसानों की बात होती है तो एक चीज को जरूर याद किया जाता है और वो है स्वामीनाथन आयोग (Swaminathan Commission), आज इस लेख में हम आपको बताएंगे की स्वामीनाथन आयोग क्या है, इसे क्यों बनाया गया, और इसकी सिफारिशें सरकार लागू क्यों नहीं कर रही।

   भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां की ज्यादातर आबादी कृषि पर ही निर्भर है, भारत कृषि क्षेत्र में इतने आगे कैसे बढ़ा इसका प्रमुख कारण है हरित क्रांति, और जब हरित क्रांति की बात हो रही है तो एक आदमी का नाम निश्चित रूप से आता है .. वह प्रो. एमएस स्वामीनाथन है।


प्रो. एमएस स्वामीनाथन को हरित क्रांति का जनक कहा जाता है, उन्होंने किसानों की आय बढ़ाने का सुझाव दिया, अगर दिये सुझाव पूरी तरह से लागू हो जाते हैं तो किसानों की हालत बदल सकती है।

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प्रो. एमएस स्वामीनाथन कौन है

7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुंभकोणम में जन्मे एमएस स्वामीनाथन पौधों के एक आनुवांशिक वैज्ञानिक हैं। स्वामीनाथन को भारत की 'हरित क्रांति' में महत्वपूर्ण भूमिका के लिए जाना जाता है। उन्होंने 1966 में मैक्सिको से बीज लाकर पंजाब की घरेलू किस्मों के साथ मिलाकर उच्च उत्पादकता वाले गेहूं के संकर बीज विकसित किए।

'हरित क्रांति' कार्यक्रम के तहत, गरीब किसानों के खेतों में उच्च उपज वाले गेहूं और चावल के बीज लगाए गए। इस क्रांति ने दुनिया में सबसे अधिक खाद्यान्न की कमी वाले देश के कलंक से उबरने के बाद, 25 वर्षों से कम समय में भारत को आत्मनिर्भर बना दिया था। उसी समय से, भारत के कृषि पुनर्जागरण ने स्वामीनाथन को 'कृषि क्रांति आंदोलन' के वैज्ञानिक नेता के रूप में ख्याति दिलाई।

सदाबहार क्रांति की ओर उन्मुख टिकाऊ कृषि की उनकी वकालत ने उन्हें अनिश्चितकालीन खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में विश्व नेता का दर्जा दिलाया। एमएस स्वामीनाथन को 1967 में 'पद्म श्री', 1972 में 'पद्म भूषण' और 1989 में 'पद्म विभूषण' 'विज्ञान और इंजीनियरिंग' के क्षेत्र में 'भारत सरकार' द्वारा सम्मानित किया गया।

स्वामीनाथन आयोग का गठन करने का क्या था कारण

केंद्र सरकार ने इन दो उद्देश्यों के लिए 2004 में एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में किसानों पर राष्ट्रीय आयोग का गठन किया, पहला खाद्य की आपूर्ति को विश्वसनीय बनाया जा सके और दूसरा किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार किया जा सके।

इसे आम लोगों द्वारा स्वामीनाथन आयोग कहा जाता है। इस आयोग ने अपनी पाँच रिपोर्ट प्रस्तुत की।

4 अक्टूबर 2006 को अंतिम और पाँचवीं रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी, लेकिन इस रिपोर्ट में शामिल सिफारिशों को अभी तक लागू नहीं किया गया है। सरकारों ने लागू करने की बात तो कहीं लेकिन उसे अभी तक लागू नहीं कर पायी।

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किसानों की आत्महत्या को रोकने के लिए आयोग ने क्या कहा

किसान आत्महत्याओं की समस्या को हल करने, राज्य स्तरीय किसान आयोग बनाने, स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने और वित्त-बीमा की स्थिति को मजबूत करने के लिए आयोग की सिफारिशों में भी विशेष सुझाव दिए गए हैं। एमएसपी की औसत लागत से 50 प्रतिशत अधिक रखने की भी सिफारिश की गई है ताकि छोटे किसान भी प्रतिस्पर्धा में आएं, यह एक विशेष लक्ष्य है।

किसानों की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य कुछ नकदी फसलों तक सीमित न रखने के उद्देश्य से ग्रामीण ज्ञान केंद्र और बाजार हस्तक्षेप योजना शुरू करने की सिफारिश की गई है।

आयोग की रिपोर्ट में सिंचाई के लिए

सभी के लिए पानी की सही मात्रा प्राप्त करने के लिए, रिपोर्ट में वर्षा जल संचयन और जल शेड परियोजनाओं को बढ़ावा देने का वर्णन किया गया है। इस लक्ष्य के साथ, पंचवर्षीय योजनाओं में अधिक धनराशि आवंटित करने की सिफारिश की गई है।

आयोग की रिपोर्ट में फसल बीमा 

आम किसान के लिए बैंकिंग और आसान वित्तीय सुविधाओं को सुलभ बनाने के लिए रिपोर्ट में विशेष ध्यान दिया गया है। सस्ती दरों पर फसल ऋण का मतलब है कि ब्याज दर को सीधे 4 प्रतिशत कम किया जाना चाहिए। कर्ज वसूली में नरमी यानि जब तक किसान कर्ज़ चुकाने की स्थिति में न आ जाए तब तक उससे कर्ज़ न वसूला जाए। उन्हें प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए कृषि राहत कोष बनाया जाना चाहिए।

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उत्पादकता बढ़ाने के लिए आयोग की रिपोर्ट

भूमि की उत्पादकता बढ़ाने के साथ, खेती के लिए बुनियादी ढांचे के विकास पर भी रिपोर्ट में चर्चा की गई है। मिट्टी की जांच और संरक्षण भी एजेंडे में है। इसके लिए, मृदा पोषण से संबंधित कमियों को ठीक किया जाना चाहिए और मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं के एक बड़े नेटवर्क का निर्माण करना होगा और सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए सार्वजनिक निवेश बढ़ाने पर जोर दिया जाना चाहिए।

खाद्य सुरक्षा के लिए आयोग की रिपोर्ट

प्रति व्यक्ति भोजन की उपलब्धता बढ़ाने की दृष्टि से सार्वजनिक वितरण प्रणाली में आमूल-चूल सुधारों पर जोर दिया गया है।सामुदायिक खाद्य और जल बैंक की सिफारिश और राष्ट्रीय खाद्य गारंटी अधिनियम भी रिपोर्ट में हैं। इसके साथ ही, एक वैश्विक सार्वजनिक वितरण प्रणाली बनाई जानी चाहिए जिसके लिए 1% GDP (GDP) की आवश्यकता होगी। 'सामुदायिक खाद्य और जल बैंकों ’को महिला स्वयंसेवी समूहों की मदद से स्थापित किया जाना है, ताकि अधिक से अधिक लोगों को भोजन मिल सके। इसके तहत कुपोषण को खत्म करने के प्रयास किए जाने चाहिए।

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Tags: Travel, History

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