Follow Our Facebook & Twitter Page : (The Found) Facebook Twitter
जून 2010 में, केंद्र सरकार ने निर्णय लिया कि अब से पेट्रोल की कीमतें तेल कंपनियों द्वारा तय की जाएंगी, न कि सरकार द्वारा। उसके बाद, अक्टूबर 2014 में तेल कंपनियों को डीजल की कीमतें तय करने का अधिकार भी दिया गया। वहीं, अप्रैल 2017 में यह तय किया गया था कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें रोजाना तय की जाएंगी। तब से, पेट्रोल और डीजल की कीमतें हर दिन तय होने लगीं। इसके पीछे तर्क यह है कि इसके कारण कच्चे तेल के दाम घटने और बढ़ने का फायदा आम आदमी तक भी पहुंचेगा और तेल कंपनियों को भी फायदा होगा। हालांकि, अब तक कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के कारण, पेट्रोल-डीजल महंगे हो जाते हैं लेकिन सस्ते नहीं होते। अमेरिका और यूरोप के कुछ देशों में कोरोनावायरस का टीका शुरू हो गया है। कुछ देशों ने कोरोना वैक्सीन को मंजूरी दी है। कई अन्य देश फार्मा कंपनियों के ऐसे अनुरोधों पर विचार कर रहे हैं।
कोरोना नियंत्रण में आने की उम्मीद से बढ़ी मांग इसके कारण, कोरोनोवायरस महामारी जल्द ही नियंत्रण में आने की उम्मीद है, कोरोना के नियंत्रण में आने के साथ, दुनिया में कच्चे तेल की मांग बढ़ जाएगी। इस कारण से इसकी कीमतों में तेजी देखी जा रही है। भारत में भी तेल की मांग बढ़ रही है। कोरोना से पहले पेट्रोल की मांग एक स्तर पर पहुंच गई है। अप्रैल से डीजल और जेट ईंधन की मांग में काफी सुधार हुआ है। लेकिन अभी भी पिछले साल की तुलना में कम है। देश की रिफाइनरियां भी पूरी क्षमता से चल रही हैं। कच्चे तेल की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय कीमतों ने सरकारी तेल कंपनियों को घरेलू ईंधन की कीमतें बढ़ाने के लिए मजबूर कर दिया है। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि का सबसे बड़ा कारण सरकारों की ओर से इस पर लगने वाला कर है।
Subscribe to Youtube Channel: The Found (Youtube) इस तरह से लगते है टैक्स केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क लगाती है। इस साल मई में, केंद्र सरकार ने उत्पाद शुल्क में वृद्धि की। विशेषज्ञों का कहना है कि कच्चा तेल विदेशों से खरीदा जाता है। फिर इसे रिफाइनरी में भेजा जाता है, जहां से पेट्रोल और डीजल निकाला जाता है। इसके बाद यह तेल कंपनियों के पास जाता है। तेल कंपनियां अपना मुनाफा कमाती हैं और उन्हें पेट्रोल पंपों तक पहुंचाती हैं। पेट्रोल पंप पर आने के बाद, पेट्रोल पंप का मालिक अपना कमीशन जोड़ता है। उसके बाद केंद्र और राज्य सरकार द्वारा जो टैक्स तय किया जाता है उसे जोड़ा जाता है।
सरकार आम आदमी से लॉकडाउन में हुए नुकसान की भरपाई कर रही उसके बाद सभी कमीशन, टैक्स, पेट्रोल और डीजल जोड़ने के बाद हमारे पास आते हैं। जब अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतें कम हो रही थीं, सरकारों ने करों में वृद्धि करके अपना खजाना भर दिया और साथ ही उन्होंने आम आदमी तक पहुंचने के लाभ को रोक दिया। अब जब कच्चे तेल की कीमतें बढ़ रही हैं, न तो सरकारें कर कम कर रही हैं। न ही तेल कंपनियां अपना मुनाफा कम कर रही हैं। पूरा बोझ आम आदमी पर पड़ रहा पूरा बोझ आम आदमी पर पड़ रहा है। हालत यह है कि पूरी दुनिया में पेट्रोल और डीजल पर सबसे ज्यादा टैक्स हमारे देश में लगता है। साथ ही पिछले एक महीने में घरेलू एलपीजी के दाम भी लगातार बढ़ रहे है, सिलेंडर पर मिलने वाली सब्सिडी भी सरकार ने पहले ही बंद कर दी है, ऐसे में निश्चित तौर पर लॉकडाउन में सरकार को हुए घाटे की भरपाई के लिए आम आदमी के जेब पर चोट की जा रही है।
@thefound.in के सभी दर्शकों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

